ज़िंदगी अपनी आप मेरे नाम लिख दीजिए
अपने साथ ही मेरा तो अंजाम लिख दीजिए
खुदा भी रो पड़े हुमारी जुदाई की सोच कर
मोहब्बत का कुछ ऐसा पैगाम लिख दीजिए
इतनी शिद्दत से चाहा है की दुनिया देखेगी
दो रूहो के मिलने का कलाम लिख दीजिए
सारी कायानत दुआएँ करती है हमारे खातिर
उनका शुक्रिया कीजिए उनको सलाम लिख दीजिए
सब्र का इंतेहाँ एक दिन तो ख़त्म होगा बेशक़
हमे मिलना ही है ये बात सारे आम लिख दीजिए
चन्द दीनो की जुदाई बदलेगी क्या ईमा हमारा
खुदा एक दिन ज़रूर देगा हमे इनाम लिख दीजिए